पृथ्वी के बारे में जानकारी
अंतरिक्ष में सूर्य का चक्कर लगाती पृथ्वी तस्वीरों और वीडियो में देखने में बहुत ही आकर्षक लगती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर पृथ्वी किस चीज पर टिकी हुई है। पृथ्वी के आसपास या ऊपर नीचे कोई चीज मौजूद नहीं है जिसके ऊपर पृथ्वी टिकी रहे। ना ही धरती किसी डोरिया धागे से बनी हुई है तो फिर कैसे यह नीला ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हुए निरंतर एक ही गति में चलता रहता है। अगर आपके मन में भी अंतरिक्ष और पृथ्वी से जुड़े। ऐसे ही जिज्ञासु सवाल आते रहते हैं तो परेशान मत होइए क्योंकि आज हम आपको पृथ्वी किस चीज पर टिकी हुई है।
इस दिलचस्प सवाल का जवाब बताने जा रहे हैं तो देर किस बात की यह शुरू करते हैं। सूर्य का चक्कर क्यों लगाती है? पृथ्वी अंतरिक्ष में सूर्य के निर्माण और विभिन्न ग्रहों के अस्तित्व में आने के बाद से ही लाखों सालों से कई परिवर्तन हुए हैं, जिनकी वजह से पृथ्वी का जीवन संभव हो पाया है। पृथ्वी अपने निर्माण के शुरुआती दौर में आग का गोला थी जो समय के साथ। ठंडी होती चली गई। इसी दौरान पृथ्वी के चांद का निर्माण हुआ और धरती का गुरुत्वाकर्षण बल तैयार होने लगा है कि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल सूर्य के मुकाबले बहुत ही कम है जिसकी वजह से पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती रहती है। सिर्फ पृथ्वी ही नहीं बल्कि सौरमंडल के दूसरे ग्रह भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल
सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल इतना मजबूत है कि कोई भी ग्रह उसका क्षेत्र छोड़कर दूर नहीं जा सकता। इसी गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य की परिक्रमा करती है। जब धरती सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करती है तो धरती पर इस वक्त को 1 साल के रूप में जाना चाहता है। लेकिन यहां एक सवाल उठता है कि धरती का सूर्य के साथ जुड़ाव सिर्फ गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही संभव है या फिर इसके पीछे कोई दूसरी वजह भी मौजूद है। इतना ही नहीं अगर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल इतना ही मजबूत है तो पृथ्वी उसके अंदर क्यों नहीं समझ आती।
आमतौर पर जब भी किसी वस्तु का गुरुत्वाकर्षण बल मजबूत होता है तो वह दूसरी चीजों।अपनी तरफ खींचने लगता है। उदाहरण के लिए जब कोई उल्का पिंड यशोधन है, धरती के नजदीक आता है तो धरती का गुरुत्वाकर्षण बल उसे अपनी तरफ खींचने लगता है और परिणाम स्वरूप, उल्कापिंड और सुदूर ग्रहों का टकराव पृथ्वी से हो जाता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि काली अंतरिक्ष में पृथ्वी सूर्य से सिर्फ गुरुत्वाकर्षण बल से ही नहीं जुड़ी हुई है बल्कि उसके स्पेस में टिके होने के पीछे कोई दूसरी वजह भी शामिल है।
दरअसल पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार घूमती है जिसकी वजह से पृथ्वी पर दिन और रात के बीच परिवर्तन संभव हो पाता है। 24 घंटे में पृथ्वी के एक बार घूमने की इस प्रक्रिया को रोटेशन कहा जाता है। वही जो पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए 1 साल में अपना एक चक्कर पूरा करती है तो उस प्रक्रिया को एवोल्यूशन कहा जाता है। सूर्य पृथ्वी समेत प्रत्येक ग्रह को अपने गुरुत्वाकर्षण बल से बंधे हुए हैं जिसकी वजह से सभी ग्रह उसकी परिक्रमा करते हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर सूर्य ने इतना बड़ा गुरुत्वाकर्षण बल कैसे तैयार किया होगा?
पृथ्वी के रहस्य क्या हैं
जिसकी वजह से सभी ग्रह उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं और अंतरिक्ष में एक ही स्थान पर टिके रहते हैं। सूर्य का गुरुत्वाकर्षण तय करता है। पृथ्वी का स्थान सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल को समझने के लिए आपको अंतरिक्ष की बनावट और उसमें सूर्य की मौजूदगी को समझना होगा। जिसकी वजह से ही सौरमंडल के ग्रहों का स्थान तय हो पाता है। अंतरिक्ष में सूर्य और ग्रहों की मौजूदगी को लेकर महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने एक छोरी दुनिया के सामने रखी थी जिससे जनरल रिलेटिविटी थ्योरी के नाम से जाना जाता है। इस चोरी के हिसाब से स्पेस में जब कोई वस्तु अपना स्थान ग्रहण करती है। तू अब बंद करके कुछ दूरी तक अपनी खुद का फर्स्ट ईयर रीजन का निर्माण कर लेती है। ऐसे में उस हिल स्टेशन में आने वाला कोई भी प्रिंट या ग्रह उस वस्तु के आसपास घूमते हुए उसकी परिक्रमा शुरू कर देता है।
ऐसा ही कुछ दूरी के गुरुत्वाकर्षण बल और सौर मंडल के सभी ग्रहों के साथ होता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य द्वारा बनाए गए हिल स्टेशन के अंदर मौजूद है। रिया को आप आसान शब्दों में इस तरह से समझ सकते हैं। मान लीजिए कि अंतरिक्ष एक विशाल चादर के समान है जिसमें सूर्य की उपस्थिति एक बहुत बड़ी और भारी-भरकम गेंद की तरह है। ऐसे में जब सूर्य रूपी उसे भारी भरकम कैन को चादर पर चेक दिया जाए तो उसके वजह से चादर में करने का निर्माण हो जाएगा। सूर्य द्वारा अंतरिक्ष में बनाए गए इस संगठन की वजह से उसके आसपास मौजूद छोटे ग्रह उसकी तरफ आकर्षित होने लगे क्योंकि अंतरिक्ष में मौजूद सूर्य का हुआ। गड्ढा एक बहुत बड़ी गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र का निर्माण करता है। इसी गुटों के संभल की वजह से सौरमंडल के ग्रहों को एक ही स्थान पर बने रहने का क्षेत्र मिल जाता है जो अंतरिक्ष में दूर-दूर तक मौजूद नहीं है।
सूर्य की मौजूदगी का कारण
ऐसे में धरती के अंतरिक्ष में टिके होने का कारण सूर्य की मौजूदगी उसका गुरुत्वाकर्षण बल और उसके द्वारा निर्मित स्फीयर रीजन जिम्मेदार है जो इस अनंत अंतरिक्ष में पृथ्वी को एक ही जगह पर ठहर कर परिक्रमा करने के लिए स्थान प्रदान करता है। सूर्य में क्यों नहीं समाधि पृथ्वी अब आप यह तो समझ गए होंगे कि अंतरिक्ष में पृथ्वी किस चीज पर टिकी हुई है।लेकिन इस जवाब के साथ एक सवाल ही भी खड़ा होता है कि अगर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी को बांधे हुए हैं तो पृथ्वी या दूसरे ग्रह उसके अंदर क्यों नहीं समा चाहते। दरअसल सूर्य का आकार एक विशालकाय गोल गेंद की तरह है जिसके चारों तरफ मजबूत कुर्तों के संभल का निर्माण होता है। ऐसे में प्रथ्वी जिस दिशा में सूर्य का चक्कर लगाती है.
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