नासा का कोलंबिया नाम की एक स्पेशल स्पेसक्राफ्ट
16 जनवरी 2003 का दिन नासा का कोलंबिया नाम की एक स्पेशल स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी इस कोलंबिया को 16 दिनों तक स्पेस में सात एस्ट्रोनॉट्स को एक्सपेरिमेंट करने थे एक्सपेरिमेंट पूरा करने के बाद 1 फरवरी 2003 के दिन सभी का पृथ्वी पर वापस लौटने का दिन था सब कुछ प्लान के हिसाब से चल रहा था। विमान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने ही वाला था कि अचानक उससे संपर्क टूट गया जिससे एक सन्नाटा छा गया। नासा ने कुछ देर बाद बताया कि कोलंबिया अंतरिक्ष में ब्लास्ट हो गया।
दोस्तों अगर आपने इस हादसे के बारे में नहीं सुना है तो चौक जायेंगे। यह जानकर कि इंसान एस्ट्रोनॉट में हमारे भारत की कल्पना चावला भी शामिल थी इस प्रोजेक्ट में ग्राउंड स्पेस में जाकर एक कंट्रोल एनवायरनमेंट में एक्सपेरिमेंट करना एक बात है। असली और खतरनाक खेल तो अंतरिक्ष में जाने और वहां से वापस पृथ्वी पर आने का है। आज हम इस वीडियो में स्पेस में जाने और वापिस धरती पर आने के इसी जटिल विज्ञान को आसान भाषा में समझेंगे तो दोस्तों बने रहे मेरे साथ अगले कुछ मिनटों की अंतरिक्ष यात्रा पर।
स्पेसक्राफ्ट, रॉकेट की मदद से स्पेस में
रॉकेट की मदद से स्पेस में पहुंचा जाता है। इसके अलावा अंतरिक्ष से जुड़ा जो दूसरा नाम हमें सुनने में आता है वह स्पेसक्राफ्ट हैं इस स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जाने के लिए बनाया जाता है तो फिर रॉकेट क्या होता है यहाँ कंफ्यूज होने की कोई जरूरत नहीं है। सबसे पहले तो आप यह जान लीजिए कि रॉकेट और स्पेस का दोनों अलग-अलग होते हैं क्योंकि स्पेसक्राफ्ट में एस्ट्रोनॉट बैठकर ट्रैवल करते हैं इसी में एस्ट्रोनॉट और उनके लिए एक्सपेरिमेंट के लिए जरूरी चीजें होती हैं जहां समझने वाली बात है।
अंतरिक्ष में जाने के लिए रॉकेट स्पेसक्राफ्ट दोनों जरूरी है अंतरिक्ष यात्री को पृथ्वी से स्पेस में भेजा जाता है। उसे रॉकेट के इंजन से ही जोड़ा जाता है और वही उसे अंतरिक्ष तक पहुंचाता है।दोस्तों आपको बता दूं कि हकीकत में रॉकेट सिर्फ एक तरह का इंजन होता है जिसका काम अंतरिक्ष तक स्पेसक्राफ्ट को पहुंचाना होता है एक सैटेलाइट अंतरिक्ष यात्री से लेकर स्पेस प्रोब हवाई जहाज की तरह एक रॉकेट को भी काम करने के लिए इधन की जरूरत होती है। एक रॉकेट इंजन में दो तरह के ईधन या फिर प्रॉपर लेंस का इस्तेमाल किया जाता है अब बढ़ते हैं स्पेसक्राफ्ट की तरफ स्पेसक्राफ्ट एक हवाई जहाज की तरह ही होता है जिसमें खाने-पीने और सोने जैसी तमाम जरूरतों के हिसाब से सारी फैसिलिटी मौजूद होती है।
स्पेसक्राफ्ट कंट्रोल सिस्टम
स्पेसक्राफ्ट के आगे के हिस्से में उसका पूरा कंट्रोल सिस्टम होता है जहां से अंतरिक्ष यात्री उसे कंट्रोल कर सकते हैं। जैसे अंतरिक्ष में पहुंचता है। इससे पहले पूरी नेविगेशन ग्राउंड पर बैठी टीम कंट्रोल कर रही होती है। अंतरिक्ष यात्री स्पेसक्राफ्ट को उसी तरह से चला सकते हैं। जैसे कोई पायलट एरोप्लेन को उड़ाता है। इसके अंदर एडवांस्ड सेंसर और मशीनें लगी होती है जिनकी बदौलत अंतरिक्ष यात्री स्पेस रिसर्च और एक्सपेरिमेंट परफॉर्म कर पाते हैं एक्सपेरिमेंट करने के बाद हिसाब से प्लान लॉन्च होने के कुछ मिनट बाद स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर जाता है जिसके बाद रॉकेट पृथ्वी में वापस आ जाता हैं। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी हमारे पास उतनी बड़ी टेक्नोलॉजी नहीं है कि हम खुद जाकर ठीक स्पेस में एक्सप्लोरेशंस कर पाए।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की तरह इसमें कई मॉड्यूल एक्यूमेंस और फैसिलिटी मौजूद होती है एस्ट्रोलॉजी रिसर्च और एक्सपेरिमेंट्स को आई एस एस इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर ही परफॉर्म करते हैं। अभी हम जानेंगे कि अपने सभी एक्सपेरिमेंट करने और कई दिन स्पेस में बिताने के बाद धरती पर लौटते कैसे हैं। आप कहेंगे कि जैसे स्पेस में पहुंचे थे। उसी तरह एक रॉकेट के जरिए वह पृथ्वी पर वापस आ जाएंगे।
धरती के वायुमंडल में परवेश
अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद रॉकेट उससे अलग हो जाता है तो दोस्तों इस सवाल का जवाब है नही यह प्रोसेस भी काफी खतरनाक होता है क्योंकि वह लगभग 17500 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की तरफ ट्रेवल कर रहे होते हैं। एंट्री के लिए पृथ्वी की कक्षा के चारों ओर चक्कर लगाते हुए धीरे-धीरे प्रवेश करते हैं यह जैसे ही धरती के वायुमंडल में परवेश करता हैं इसमें घर्षण के कारण आग का गोला बन जाता हैं पर इसमे बैठे यात्री सुरछित रहते हैं क्यों की इसमे प्रोटेक्शन लेयर लगा होता हैं जो अन्दर गर्मी को नही जाने देता अगर इसका प्रोटेक्शन लेयर टूट जाता जैसा की कोलंबिया स्पेसक्राफ्ट में हुआ था जिससे उसमे आग लग जाती हैं और वह राख में बदल जाता हैं जिससे उसमे बैठे सारे यात्री मरे जाते हैं स्तों ऐसे ही विडियो के लिए हमारे चैनल को सपोर्ट करे धन्यवाद
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