अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन
दोस्तों आपने सुना होगा कि अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन लगातार पृथ्वी के चक्कर काट रहा है और यह लगातार इसके चक्कर काटता ही जा रहा है। पर क्या आपके दिमाग में सवाल आता है? अंतरिक्ष स्टेशन नीचे गिरता क्यों नहीं क्या इसका ईधन कभी खत्म नहीं होगा और इसमें कौन सा इंधन इस्तेमाल किया गया है जो लगातार यह चलता ही जा रहा है। आपको यह तो पता ही होगा कि हमारा चांद हमारी पृथ्वी से बंधी हुई हैं दोस्तों चांद पर हमारी पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बहुत ज्यादा है जिसकी वजह से वह फ्रीली अपनी कक्ष पर घूम भी नहीं पाता है। इसलिए हमें चांद की हमेशा एक ही साइड दिखाई देती है। चांद का अंधेरा वाला हिस्सा हमने आज तक नहीं देखा। हालांकि चंद्रयान थ्री ने वहाँ पर उतर कर उसकी कुछ तस्वीरें ली है। वहां पर कुछ रिसर्च जरूर की है लेकिन पृथ्वी से हमने चांद के उस हिस्से को कभी भी नहीं देखा।
आखिर किस कारण पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण उसको इतना ज्यादा प्रभावित करता है कि उसे फ्रीली घूमने तक नहीं देता हमारी पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण इतनी दूर तक परभाव डालता है। लगभग चार लाख किलोमीटर दूर से इतना प्रभावित कर सकता है। तो फिर हमारा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की मार से कैसे बचा हुआ है। क्या यह चाँद से भी ज्यादा दूरी पर है। यह पृथ्वी पर गिरता क्यों नहीं जो चांद हमारी पृथ्वी पर समुद्र को इतना ज्यादा प्रभावित करता है कि समुद्र में हलचल मचा देता है। समुद्र में ज्वार भाटे उत्पन्न कर देता है। वह चांद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को अपनी ओर क्यों नहीं खींचता और उसको प्रभावित क्यों नहीं करता। और अगर करता है तो कैसे करता है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी पर गिर क्यों नहीं रहा
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन सालों से प्रभावित होकर पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है और पृथ्वी पर गिर क्यों नहीं रहा। वैसे कई वैज्ञानिकों के लिए एक उत्सुकता का केंद्र रहा है। उसका रहस्य और संभावनाओं को जोड़ने की चाह विज्ञान की दुनिया में आसमान को स्थापित करती है।
उन्नीस अप्रैल उन्नीस सौ इकहत्तर में सोवियत संघ द्वारा भेजा गया दुनिया का पहला स्पेस स्टेशन सेल्यूट से लेकर आज दो हजार चौबीस तक कुल बारह स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में भेजे गए हैं तो फिर आखिर तब से लेकर अब तक अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन गिर क्यों नहीं रहे इस सवाल का जवाब जाने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि स्पेस स्टेशन होता क्या है और मैं क्यों बनाया जाता है। इसके बाद हम जानेंगे। इसे अंतरिक्ष में कैसे भेजा जाता है और अंतरिक्ष में जाने के बाद यह आपने ऑर्बिट में कैसे बने रहते हैं और कैसे घूमते रहते हैं, धरती पर गिर क्यों नहीं जाता धरती का गुरुत्वाकर्षण बल इन पर प्रभाव क्यों नहीं डाल पाता।
आइए जानते हैं। इन्हीं सवालों के जवाब दसको पहले स्पेस स्टेशन बनाने के विचार को महज एक साइंस फिक्शन माना जाता था। एक कोरी कल्पना ही कहा जाता था और जो लोग इसके बारे में कल्पना करना चाहते थे, उन्हें यह पसंद आता था। उन्नीस सौ चालीस के दशक में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि इसे किस तरह के स्ट्रक्चर का निर्माण विज्ञान द्वारा किया जा सकता है। क्या होता है
स्पेस स्टेशन दरअसल एक स्पेस स्टेशन जिसमें ऑर्बिटल स्टेशन या ऑर्बिटल स्पेस स्टेशन भी कहा जाता है। वास्तव में एक अंतरिक्ष यान होता है जो लंबे समय के लिए इंसानी यात्रियों को अंतरिक्ष में ठहरने की सुविधा देता है। यानि की अंतरिक्ष में हमारा एक स्थाई ठिकाना होता है। आसान शब्दों में कहें तो एक प्रकार का अंतरिक्ष आवास भी कहा जाता है। इस अंतरिक्ष में बनाए गया होटल समझ सकते हैं जिसमे वैज्ञानिकों की रिसर्च के लिए काम किया जाता है। । लेकिन बीते कुछ सालों में मिलिट्री लॉन्चर्स भी हुए हैं।
अंतरिक्ष विमानों और डिजाइन मीडिया के बीच ज्यादा पॉपुलर
उन्नीस सौ पचास के दशक में अंतरिक्ष विमानों और डिजाइन मीडिया के बीच काफी ज्यादा पॉपुलर हो गए और आम जनता भी इनके बारे में जानने को उत्सुक होने लगे। पहला अल्प विकसित अंतरिक्ष स्टेशन उन्नीस सौ उनहत्तर में दो रसियन सोइवहिकल को जोड़कर बनाया गया था। इसके बाद उन्नीस सौ चौरासी में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर निर्माण हुआ। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के निचले ऑर्बिट में नासा द्वारा निर्मित एक पूरी तरह से ऑपरेशनल और स्थाई रूप से स्पेस स्टेशन मौजूद है जो दशकों से मानव की सेवा कर रहा है जोकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के नाम से जाना जाता हैं दोस्तों ये जानकारी कैसी लगी कमेंट में बताए आने वाले जानकारी में और भी बहुत कुछ जानेगें आप पेज को फॉलो कर लीजिये धन्यवाद
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