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ब्रह्मांड के सामने हमारी हैसियत

हम इंसानों की ब्रह्मांड के सामने हैसियत

ब्रह्मांड के सामने हमारी हैसियत क्या हैं दोस्तों आज हम जानने वाले हैं कि ब्रह्मांड के सामने हम इंसान क्या है हम इंसानों की ब्रह्मांड के सामने हैसियत इस आर्टिकल को देखने के बाद आप का घमंड चूर चूर हो जाएगा। जब आप जानोगे कि ब्रह्मांड कितना बड़ा है और इतने बड़े ब्रह्मांड में हम कहां एक्जिस्ट करते हैं या फिर हमारा वजूद ब्रह्मांड के सामने कुछ मायने रखता भी है या नहीं जानने के लिए आर्टिकल को पूरा जरुर देखें। दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारी धरती पर रहने वाले लोगों की संख्या यानी पूरी धरती की पापुलेशन लगभग दस अरब तक पहुंच चुकी है। लेकिन धरती पर मौजूद यह सभी दस अरब लोग कैलिफोर्निया जितनी जगह में समा सकते हैं। कैलिफोर्निया लगभग पाच सौ किलोमीटर के एरिया में फैला हुआ है। 

धरती मंगल ग्रह से काफी ज्यादा बड़ी है

अगर हम बात करें हमारी धरती की तो पूरी धरती मंगल ग्रह से काफी ज्यादा बड़ी है। हमारी धरती का व्यास यानी धरती की मोटाई लगभग तेरह हजार किलोमीटर है। वहीं पर चांद का व्यास तीन हजार पाच सौ किलोमीटर है। चांद इतना बड़ा है कि इसके अंदर एक लाख हिमालय जैसे पहाड़ समा सकते हैं और हमारी धरती इतनी बड़ी है कि धरती के अंदर चांद जैसे लगभग पचास उपग्रह समा सकते हैं तो आप समझ गए होंगे कि धरती कितनी बड़ी है

तो दोस्तों जरा एक बार सोच कर देखिए धरती के सामने हम कहां दिखते हैं? चांद धरती से तीन लाख चौरासी हजार किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। इस दूरी के अंदर सोलर सिस्टम के सभी आठ नौ ग्रह समा सकते हैं। अगर हम अपने सूरज की बात करें तो हमारा सूर्य धरती से पंद्रह करोड़ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। हमारे सूरज का व्यास लगभग चौदह लाख किलोमीटर है।

धरती के मुकाबले में सूरज कितना बड़ा है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसमें तेरा लाख धरती समा सकती है। यानी सूरज की विशालता की कल्पना हम आंख बंद करके भी नहीं कर सकते तो आप सोच लीजिए। हम इंसान सूरज की विशालता के सामने क्या औकात रखते हैं? न सिर्फ इंसान बल्कि सूरज की विशालता के सामने धरती और चांद की भी कोई हैसियत नहीं दिखाई देती है। 

सबसे विशाल ग्रह जुपिटर

हमारे सौरमंडल के सबसे विशाल ग्रह जुपिटर के अंदर हमारी धरती जैसी तेरह हजार से ज्यादा धरती समा सकती हैं और जुपिटर जैसे हजार ग्रह सूरज के अंदर समा सकते हैं तो दोस्तों सूरज न सिर्फ धरती बल्कि जुपिटर की औकात से भी कई गुना बढ़ा है। लेकिन हैसियत की बात करें तो यह तो बस एक शुरुआत है। अगर हम बात करें। पूरे सौरमंडल की तो हमारे सौरमंडल का व्यास दो सौ नब्बे अरब किलोमीटर है। इतने बड़े सौरमंडल में हमारे आठों ग्रहों के साथ पांच बौने ग्रह लाखों एस्ट्रॉयड और करोड़ों मेटियोरॉइड मौजूद है। सूरज से लेकर नेप्चून तक की दूरी करीब साढे चार अरब किलोमीटर है।

ऐसे में अगर हम सूरज से लेकर नेपच्यून तक सूरज की लाइन बनाएं तो इस लाइन में सूरज जैसे लगभग तीन हजार सितारे समा जाएंगे तो आप समझ सकते हैं कि सोलर सिस्टम की साइज के सामने सूरज कितना छोटा है। अगर प्लूटो से हम सूरज को देखें तो हमारा सूरज प्लूटो से कुछ ऐसा दिखाई देता है। हमारा सौरमंडल प्लूटो के बाद भी कई गुना आगे तक फैला हुआ है। यहां तक हम देख चुके हैं कि सूरज की साइज भी इतने बड़े सौरमंडल के सामने काफी छोटी पड़ जाती है। 

मेगास्टार

अगर हम और आगे की बात करें तो सूरज से और भी बड़े तारे अंतरिक्ष में मौजूद है। जैसे कि मेगास्टार जिसका व्यास पैतीस लाख किलोमीटर है और इसमें सूरज जैसे लगभग बीस तारे समा सकते हैं। इससे भी बड़ा तारा है आर्कटोरस जो तीन करोड़ साठ लाख किलोमीटर चौड़ा है। इसमें सूरज जैसे सत्तरह हजार तारे समा जाएंगे इसके और आगे चलने पर ब्रह्मांड में एक और तारा है। रीगेल जिसका व्यास 11 करोड़ किलोमीटर है। इसके अंदर एक्ट्रास जैसे पचास तारे समा जाएंगे और सूरज जैसे चार लाख पचासी हजार तारे समा जाएंगे। 

अब हम देख पा रहे हैं कि सूरज भी यहां आकर कितना छोटा पड़ रहा है। चलिए और आगे चलते हैं। यह हैं बीटलेजूस, जिसका व्यास दो अरब हैं और सूरज जैसे लगभग सत्तर करोड तारे समा सकते हैं। अब आप सोच लीजिए। यहां आकर सूरज भी एक रेत के कण के बराबर लग रहा है। इसके आगे हम मिलते हैं बाय केनिस मेजॉरिस से, जिसका व्यास तीन अरब किलोमीटर है और इससे भी बड़ा तारा है यूसकोटी जिसका व्यास लगभग तीन अरब चालीस लाख किलोमीटर है। 

ब्रह्मांड में बड़ी संरचना

अब अगर हम बात करें। ब्रह्मांड में इससे भी बड़ी संरचनाओं की तो हम पहुंच जाते हैं। कैट आई नेबुला के पास यह आकार में जीरो पॉइंट फोर प्रकाश वर्ष बड़ी है। यानी प्रकाश को भी इसे पार करने में चार महीने तीस दिन लगेंगे। यह ब्रह्मांड के सबसे विशाल तारे के मुकाबले कितना बड़ा है। नेबुला के अंदर स्टीफनसन जैसे लगभग तीन हजार तारे समा जाएंगे और इससे भी बड़ा। हेलिक्स निबोला है जिसका व्यास 5 प्रकाश वर्ष है। यानी प्रकाश को इसे पार करने में पाच साल लगेंगे। और इसमें स्टीफनसन जैसे पंद्रह हजार तारे रखे जा सकते हैं। इससे भी आगे हैं अर्योनेबोला जो चौबीस प्रकाश वर्ष चौड़ा है और इससे आगे हमें मिलता है।

ओमेगा सैंटोरी कंजर्वेशन जिसका व्यास एक सौ पचास प्रकाश वर्ष है और अब तक जिन विशालकाय संरचनाओं को हमने देखा है उन सब को अपने अंदर समाने वाली इन सब से करोड़ों गुना विशाल यह है हमारी आकाशगंगा मिल्की वे यानी मंदाकिनी आकाशगंगा जो कि एक लाख प्रकाश वर्ष के व्यास में फैली हुई है। यानी यह इतनी बड़ी है कि इसे पार करने में प्रकाश को भी एक लाख साल लग जाएंगे और आपको बता दें कि प्रकाश की गति तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकंड है। 

हमारी आकाशगंगा

हमारी इस आकाशगंगा में इस तरह के बड़े-बड़े चार सौ अरब तारे मौजूद है और इतने ही ग्रह इसके अंदर मौजूद है तो यहां आकर आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि यह कितनी बड़ी है। इसके अंदर हमारी धरती खत्म भी हो जाए तो इतनी विशाल आकाशगंगा को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। हमारा सूरज भी खत्म हो जाए तो भी इसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला ब्रम्हांड का सबसे बड़ा तारा भी खत्म हो जाए तब भी इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन ब्रह्मांड यहां भी खत्म नहीं होता है। इससे भी आगे चलने पर अगर हम हमारी पड़ोसी आकाशगंगा एंड्रोमेडा की बात करें तो यह हमारी गैलेक्सी से दो गुना बढ़ी है।

गैलेक्सी के अंदर

इस गैलेक्सी के अंदर दस खरब तारे मौजूद है। अब तक जाने गए सबसे विशाल तारे की परचम से इस गैलेक्सी को भर दिया जाए तो इसमें स्टीफनसन दो सौ अस्सी जैसे तारे आ सकते हैं। अगर हम और आगे पृथ्वी से 23 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर जाए तो हमें और आकाशगंगा मिलती है। जो कि पचास लाख प्रकाश वर्ष के व्यास में फैली है,आने वाले आर्टिकल में हम ब्रम्हांड के बारे और भी बहुत कुछ जानेगें आप हमारे पेज को लाइक करें धन्यवाद


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