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वॉयजर वन और वॉयजर टू

नमस्कार दोस्तों, आज हम नासा द्वारा 1977 में लॉन्च किए गए दो अंतरिक्ष यान, वॉयजर वन और वॉयजर टू, के बारे में जानेंगे। इनका उद्देश्य हमारे सौरमंडल के बाहरी ग्रहों का अध्ययन करना और सौरमंडल की सीमाओं के पार जाकर अंतरिक्ष के रहस्यों को समझना था। ये दोनों मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुए हैं। आइए, इन दोनों मिशनों को विस्तार से समझते हैं।

वॉयजर टू की यात्रा:

वॉयजर टू को 20 अगस्त 1977 को लॉन्च किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य बृहस्पति और शनि ग्रहों का अध्ययन करना था। बाद में, इसका मार्ग बदलकर यूरेनस और नेप्च्यून की ओर कर दिया गया, जिससे यह उन ग्रहों का अध्ययन करने वाला एकमात्र अंतरिक्ष यान बन गया।

  • बृहस्पति और शनि: वॉयजर टू ने 1979 में बृहस्पति और 1981 में शनि का अध्ययन किया, जिससे हमें इन ग्रहों के वातावरण, चंद्रमाओं और रिंगों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली।

  • यूरेनस और नेप्च्यून: 1986 में, वॉयजर टू यूरेनस के पास पहुँचा और उसके रिंगों, चंद्रमाओं और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन किया। 1989 में, इसने नेप्च्यून का अध्ययन किया, जहाँ इसने ग्रह के तूफानों, रिंगों और चंद्रमा ट्राइटन का अवलोकन किया।

वॉयजर वन की यात्रा:

वॉयजर वन को 5 सितंबर 1977 को लॉन्च किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य बृहस्पति और शनि का अध्ययन करना था, लेकिन विशेष रूप से शनि के चंद्रमा टाइटन के अध्ययन के लिए इसका मार्ग निर्धारित किया गया था।

  • बृहस्पति और शनि: वॉयजर वन ने 1979 में बृहस्पति और 1980 में शनि का अध्ययन किया। इसने बृहस्पति के चंद्रमा आयो पर सक्रिय ज्वालामुखियों की खोज की और शनि के रिंगों और चंद्रमाओं की विस्तृत तस्वीरें भेजीं।

  • टाइटन: शनि के चंद्रमा टाइटन के घने वायुमंडल के बारे में जानकारी मिलने के बाद, वॉयजर वन का मार्ग बदल दिया गया ताकि यह इंटरस्टेलर स्पेस की ओर बढ़ सके।

इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश:

  • वॉयजर वन: 25 अगस्त 2012 को, वॉयजर वन सौरमंडल की सीमाओं को पार करके इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश करने वाला पहला मानव निर्मित अंतरिक्ष यान बन गया।

  • वॉयजर टू: 5 नवंबर 2018 को, वॉयजर टू भी इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश करने वाला दूसरा यान बना।

गोल्डन रिकॉर्ड:

दोनों वॉयजर यानों में एक "गोल्डन रिकॉर्ड" रखा गया है, जो तांबे से बना हुआ एक डिस्क है। इसमें पृथ्वी की आवाज़ें, संगीत, कई भाषाओं में संदेश, और हमारी सभ्यता की तस्वीरें शामिल हैं। इसका उद्देश्य यह है कि यदि इन यानों को कभी किसी अन्य ग्रह के बुद्धिमान जीव द्वारा खोजा जाए, तो उन्हें हमारी पृथ्वी और मानवता के बारे में जानकारी मिल सके।

वर्तमान स्थिति:

दोनों वॉयजर यान अभी भी कार्य कर रहे हैं और पृथ्वी से अरबों किलोमीटर दूर अंतरिक्ष से डेटा भेज रहे हैं। हालांकि, उनकी बैटरी प्लूटोनियम से बनी हैं, जो धीरे-धीरे कमजोर हो रही हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले दशक में उनकी ऊर्जा पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी, लेकिन तब तक ये यान हमें अंतरिक्ष के रहस्यों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते रहेंगे।

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